लेखनी कविता - न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है - फ़िराक़ गोरखपुरी

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न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है / फ़िराक़ गोरखपुरी ना जाना आज तक क्या शै खुशी है हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है तेरे गम से शिकायत सी रही है ...

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